मत कहो घबरा गया मत समझो रण छोड दिया।।
ये आज की रचना नहीं है और ना ही कृषी कानून वापसी से कोई संबंध है। लेकिन निर्णय के संशोधन, संवर्धन, परिवर्द्धन, परिवर्तन या परावर्तन के संबंध में बहुत पहले मेरे ही किसी अनुयायी को कहा था। अनावश्यक भूमिका को छोड़ते हुए आप को आमंत्रित करता हॅूं आईये चर्चा करें।