राजस्थानी

इतिहास का बंद किवाड़

मने ठा कोनी कि कितना हमझेला न कितना गेळ पकड़ेला? क्यूं के सूंग्यो होबा के ताईं आंख, नाक अर् कान खुल्या होबा के साथ थोड़ी बुद्धि भी चायजे छे। इतिहास का बंद किवाड़, जाळी—झरोखां मं असी असी कहाण्यां किस्सा दब्योड़ा छे जां से आदमी बहुत कुछ सीख सकऽ छे। फेर