मंदाकिनी पार्ट 18 / Mandakini part 18
अक्टूबर माह के उस दूसरे गुरूवार को भोर की किरणें भी अभी केसरिया कंबल ओढे़ हिमालय की चोटियों पर सोई हुई थी कि घर के बाहर कुछ खट-पट के शोर और कुछ लोगों की आवाज़ों के साथ अलसाई सी मेरी आंख खुली तो मन में अनेक आषंकाएं थी। दीवार घडी