भावनाओं का ज्वार लिये
ह्रदय में भावनाओं का ज्वार लिये उदर में हिलोरें लेता संसार लिये कटी जिव्हा पर अगणित उद्गार लिये मैं घूंघट ओढ़े मुख बाधित रही जब
ह्रदय में भावनाओं का ज्वार लिये उदर में हिलोरें लेता संसार लिये कटी जिव्हा पर अगणित उद्गार लिये मैं घूंघट ओढ़े मुख बाधित रही जब
चांदनी ने अपने गीत से ज़ीरो प्वाईंट से सेवॉय होटल तक के रास्ते आवासीय क्षेत्र शुरू होने तक की उस यात्रा को मेरी स्मृतियों की
एक कौतुहल बनकर मन के आंगन में उतरी थी छवी तुम्हारी। सोचते ही सोचते ना मालूम कब आदत बन गयी।। अब प्रतिक्षण प्रतिपल प्रतीक्षा में
मंदाकिनी पार्ट 26 मंदाकिनी का ये भाग मेरे जासूसी जीवन में गुप्त सांकेतिक भाषा और सायफ़र कोड़—डिकोड़ का एक छोटा सा दृष्टांत है। हालांकि कॉमर्स
मंदाकिनी पार्ट 25 मित्रों, मंदाकिनी का ये एपिसोड प्यार के प्यासे मंदाकिनी के मन का दर्पण ही नहीं है बल्की इतिहास का एक झरोखा है
कोरोना काल से तुरंत पहले सीएए, एनसीआर व एनपीआर पर कुछ श्वानवृति लोगों की गतिविधियों को लक्ष्य बना कर डेढ़—दो पैराग्राफ का एक छोटा सा
चांदनी इतनी मासूम और निर्दोष थी कि मैं चाह कर भी चांदनी पर अपनी झुंझलाहट और खीझ को प्रकट नहीं कर सकी। मौसम और बादलों
मने ठा कोनी कि कितना हमझेला न कितना गेळ पकड़ेला? क्यूं के सूंग्यो होबा के ताईं आंख, नाक अर् कान खुल्या होबा के साथ थोड़ी
मंदाकिनी पार्ट 24 व्हिस्परिंग टॉरेंट्स कैंम्पिंग रिसॉर्ट से निकलते-निकलते दस बज चुके थे। महानवमी के बाद आज फिर मैं शेखर के साथ जीप में आगे
मंदाकिनी पाट 23 नवीनतम एपिसोड्स को पढ़ते हुए आप को लगेगा कि मैं गढ़वाली भाषा का अपना ज्ञान बघार रहा हूं। लेकिन मैंने कहा न
शेखर और रूखसाना की शे‘र ओ शायरी में हुए संवाद की बहुत नकारात्मक और सकारात्मक समीक्षा में मेरे मन-मस्तिष्क में नकारात्मकता का पलड़ा अधिक भारी
ये एपिसोड़ नहीं पढ़ा तो क्या पढ़ा? अब तक आपने पढा … शराफ़त अली खां और शादाब क़ुरैषी के लटके हुए चेहरों से ईद की